महाभारत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण एपिक है जो कि भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध और महानतम युद्ध के बारे में बताता है। इस काव्य में कुछ लोगों के विरोध और संदेहों के बावजूद, इसके अनेक प्रमाण हैं जो कि इसे इतिहास के रूप में स्वीकार करते हैं। यह लेख “महाभारत काल के सबूत” के रूप में महाभारत के अधिकांश समर्थकों के लिए एक नजर प्रस्तुत करता है।
कुरुक्षेत्र की रहस्यमयी लाल मिट्टी
कुरुक्षेत्र, मानव इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक की गवाही देने वाली जमीन है। उत्तर भारत के हरियाणा राज्य में स्थित इस प्राचीन शहर की विशेषता उसकी जीवंत लाल मिट्टी है, जो महाभारत के युद्ध के दौरान खून के गिरने से लाल हुई थी।
कुरुक्षेत्र के युद्ध का सामना, 5000 साल पहले किया गया था, जब कौरवों और पांडवों के बीच हस्तिनापुर की सिंहासन के लिए झगड़ा था। कुरुक्षेत्र के युद्ध ने 18 दिनों तक चला और लाखों सैनिकों की जानों का नुकसान हुआ, जिसमें भीष्म, द्रोण और कर्ण जैसे कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल थे। युद्ध इतना खूबसूरत था कि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उसकी लाल मिट्टी खून से रंगी हुई थी और यही इसे “लाल मिट्टी” के नाम से जाना जाता है।
हस्तिनापुर शहर
भारतीय इतिहास में महाभारत एक ऐतिहासिक घटना है जिसमें कई शहरों का निर्माण हुआ था। इन शहरों में से कुछ आज भी मौजूद हैं और उनमें से कुछ लोगों के लिए एक अद्भुत दुनिया है।
एक ऐसा शहर है हस्तिनापुर, जो महाभारत की प्रमुख घटनाओं का नगरी था। हस्तिनापुर आजकल मेरठ जिले में स्थित है। इस शहर के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है। यह नगरी दुर्ग, समद्रपाष्ट और अन्य भवनों से घिरी थी और इसके लोग धर्म, संस्कृति, और शासन के क्षेत्र में कुशल थे।
दूसरा शहर है इंद्रप्रस्थ जो आजकल दिल्ली के भीतर स्थित है। यह शहर महाभारत के समय में एक समृद्ध और व्यापक शहर था जो मशहूर सभाओं, समारोहों और आयोजनों के लिए जाना जाता था। इस शहर के नाम के पीछे भारतीय देवता इंद्र की शानदार शक्ति है जो शहर को अधिक महत्वपूर्ण बनाती है।
गीता उपदेश
हिंदू धर्म के एक प्रमुख इतिहास में महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध को बड़ा महत्व दिया गया है। ये युद्ध धर्म और न्याय के लिए लड़ा गया था और इसमें पांडवों और कौरवों के बीच लड़ाई हुई थी। इस युद्ध में कुरुक्षेत्र एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया था जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता के वचन सुनाए थे।
इस युद्ध के समय बहुत सारे शूरवीरों ने अपने जीवन की बाजी लगाई थी। इस युद्ध में लगभग 18 अक्षौहिणी सेना थी जो आम तौर पर लड़ाई नहीं लड़ती। ये सेनाएं आपस में टकराकर एक दूसरे को मारने के लिए लड़ी थीं।
इस युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था जिससे वह अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए जीवन की महत्त्वपूर्ण बातों को सीख सका। ये उपदेश आज भी मानव जीवन के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में महत्त्वपूर्ण हैं।